इस सरकारी बैंक ने महंगा किया कर्ज, MCLR में की 0.05% की बढ़ोतरी...नई दरें आज से लागू
अगस्त के पहले दिन ही पंजाब नेशनल बैंक ने MCLR में 0.05 प्रतिशत यानी 5 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी कर दी है. इसके चलते ज्यादातर उपभोक्ता ऋण महंगे हो गए.
सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank- PNB) ने अगस्त की पहली तारीख को ग्राहकों को झटका दे दिया है. बैंक ने सभी अवधि के लिए सीमांत निधि लागत आधारित ऋण दर (Marginal Cost of Funds Based Lending Rate- MCLR) में 0.05 प्रतिशत यानी 5 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी कर दी है. इसके चलते ज्यादातर उपभोक्ता ऋण महंगे हो गए.
5 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी
पीएनबी ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि एक साल की अवधि के लिए मानक MCLR अब 8.90 प्रतिशत होगी, जो पहले 8.85 प्रतिशत थी. इसका इस्तेमाल मोटर वाहन और व्यक्तिगत जैसे अधिकतर उपभोक्ता ऋणों के मूल्यांकन में किया जाता है. तीन वर्ष की MCLR पांच बेसिस पॉइंट बढ़कर 9.20 प्रतिशत हो गई है.
BOI ने भी बढ़ाई दरें
इसके अलावा एक महीने, तीन महीने और छह महीने की अवधि के लिए ब्याज दर 8.35-8.55 प्रतिशत के दायरे में होगी. एक दिन की अवधि के लिए MCLR 8.25 प्रतिशत की जगह पर 8.30 प्रतिशत होगा. नई दरें आज से लागू हो गई हैं. बता दें कि इससे पहले बैंक ऑफ इंडिया ने भी एक वर्ष की अवधि के लिए MCLR में 0.05 प्रतिशत की वृद्धि कर इसे 8.95 प्रतिशत करने की बुधवार को घोषणा की थी. हालांकि, शेष अवधि के लिए दरें यथावत हैं.
क्या है MCLR
TRENDING NOW
6 शेयर तुरंत खरीद लें और इस शेयर को बेच दें; एक्सपर्ट ने निवेशकों को दी कमाई की स्ट्रैटेजी, नोट कर लें टारगेट और SL
इस कंपनी को मिला 2 लाख टन आलू सप्लाई का ऑर्डर, स्टॉक में लगा अपर सर्किट, 1 साल में 4975% दिया रिटर्न
MCLR भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा तय की गई एक पद्धति है जो कॉमर्शियल बैंक्स द्वारा ऋण ब्याज दर तय करने के लिए इस्तेमाल की जाती है. भारत में नोटबंदी के बाद से इसे लागू किया गया है. इससे ग्राहकों के लिए लोन लेना आसान हो गया है. दरअसल जब आप किसी बैंक से कर्ज लेते हैं तो बैंक द्वारा लिए जाने वाले ब्याज की न्यूनतम दर को आधार दर कहा जाता है. आधार दर से कम दर पर बैंक किसी को लोन नहीं दे सकते. अब इसी आधार दर की जगह पर बैंक MCLR का इस्तेमाल कर रहे हैं.
MCLR लागू होने के बाद से होम लोन जैसे लोन सस्ते हुए हैं. MCLR की गणना धनराशि की सीमांत लागत (Marginal Cost of Funds), आवधिक प्रीमियम (Period Premium), संचालन खर्च (Operating Expenses) और नकदी भंडार अनुपात (Cash Reserves Ratio) को बनाए रखने की लागत के आधार पर की जाती है. बाद में इस गणना के आधार पर लोन दिया जाता है. यह आधार दर से सस्ता होता है.
03:29 PM IST